दुनिया की ऑस्टियोआर्थराटिस राजधानी बनने की ओर भारत

दुनिया की ऑस्टियोआर्थराटिस राजधानी बनने की ओर भारत

यूं तो भारत में जीवनशैली आधारित रोगों की लंबी श्रृंखला है और इसमें भी मधुमेह का स्‍थान सबसे आगे है मगर एक और बीमारी है जो तेज गति से भारतीयों को अपनी जकड़ में ले रही है। यह बीमारी है ऑस्टियोआर्थराइटिस या जोड़ों के क्षरण की समस्या।

डॉक्टरों का मानना है कि जिस गति से इसके मरीज हिदुस्तान में बढ़ रहे हैं उससे अगले आठ साल यानी 2025 तक भारत दुनिया की ऑस्टियोआर्थराइटिस की राजधानी बन जाएगा। आंकड़े दिखाते हैं कि भारत में अभी हर साल करीब एक करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। वर्तमान में देश में करीब 6 करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं।

ये बीमारी बुढ़ापे की ओर बढ़ते लोगों को अपनी चपेट में लेती है और बड़ी उम्र में तो इसके कारण चलना-फिरना सब मुश्किल हो जाता है। चूंकि ये जोड़ों की समस्या है इसलिए सबसे पहले घुटने और हिप मोड़ने में दिक्कत आने लगती है। इन दोनों जगहों का मूवमेंट कम होने से चलना फिरना दुश्वार हो जाता है।

अगर मरीज का वजन अधिक हो तो ये बीमारी ज्यादा सताती है क्योंकि हलके लोगों को उठने या बैठने में घुटनों पर ज्यादा जोर नहीं देना पड़ता जबकि मोटे लोगों को इस प्रक्रिया में सारा जोर ही पैरों और खासकर घुटनों तथा हिप पर पड़ता है। यूं तो ये बीमारी काफी धीरे-धीरे लोगों को अपनी चपेट में लेती है मगर कुछ लोगों में इसे तेजी से फैलते भी देखा गया है।

हिप और घुटने के अलावा लोअर बैक, गर्दन तथा अंगुलियों के जोड़ों आदि पर भी इसका खासा असर होता है। यूं तो इसके इलाज के लिए दवाएं और फीजियोथेरेपी आदि से काम चल जाता है मगर यदि समस्या ज्यादा गंभीर हो तो मरीज को बिस्तर पर पटक देता है। ऐसी स्थिति में जोड़ों के रिप्लेसमेंट की सर्जरी करवाने का उपाय ही बाकी बचता है और देश के कई अस्पताल ऐसी सर्जरी सफलतापूर्वक कर भी रहे हैं।

वरिष्ठ हड्डी रोग चिकित्सक और एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. पी.के. दवे कहते हैं कि ये जोड़ों को कमजोर बनाने वाली बीमारी है और बढ़ती उम्र, मोटापा, पहले जोड़ों में लगी कोई चोट, जोड़ों का अत्यधिक इस्तेमाल, जांघों की मांसपेशियों में कमजोरी और आनुवांशिक कारणों से ये समस्या हो सकती है। इसके लक्षण बेहद धीरे-धीरे उभरते हैं और सबसे खास लक्षणों में सुबह नींद से उठने के बाद जोड़ों में दर्द और अकड़न शामिल है।

अगर मरीज मोटा हो घुटने की नरम हड्डी कार्टिलेज तेजी से खराब होती है। मरीज के बॉडी मास इंडेक्स में एक इकाई की वृद्धि कार्टिलेज के खराब होने की दर को 11 फीसदी बढ़ा देती है। इसलिए इस बीमारी को बढ़ने से रोकने के लिए मोटापा घटाना सबसे अहम कारक है। इसके लिए स्ट्रेचिंग, मांसपेशियों को मजबूत बनाने वाले व्यायाम तथा अन्य फिटनेस गतिविधियां आपको बढ़ती उम्र में भी इन बीमारियों से दूर रखेंगी।

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